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रहस्यमाई चश्मा भाग - 18




संत समाज को यह नही समझ मे आ रहा था कि शिवरात्री के दिन शुभा के व्यवहार में परिवर्तन का कारण क्या हो सकता है भगवान शिव शंकर को क्या मंजूर है और क्या भविष्य लिख रखा है इस अभागिन के लिए संत समाज सब कुछ भगवान शिव पर छोड़ हर हाल में आदिवासी समाज द्वारा दी जिम्मेदारी को निभाने कि पूरी ईमानदारी से कोशिश कर रहा था ।


हवेली बहुत दिनों बाद सुयश के आने के बाद एक बार पुनः ना जाने किसी अनजान उत्सव कि तैयारी कर रहा था आश्चर्य कि बात यह थी कि किसी को नही मालूम था कि किस उत्सव कि तैयारी हो रही है उत्सव मनाने कि अनुमति सुयश ने मंगलम चौधरी से अनुमति लेकर अपने देख रेख में अपनी देख रेख में पूरी तैयारी करा रहा था मंगलम चौधरी स्वयं भी नही समझ पा रहे थे कि आखिर सुयश क्या करना चाहता है अनुमति तो उन्होंने सुयश को अनुमति अवश्य दे रखी थी मगर चिंतित अवश्य थे आखिर वह दिन आ ही गया जो दिन उत्सव के लिए सुयश ने निर्धारित किया था!



सुयश ब्रह्म मुहूर्त में उठा और मंगलम चौधरी को भी नीद से स्वंय उठाया जबकि हर दिन सुबह सुखिया काका चौधरी साहब को नीद से जगाते थे सुयश ने चौधरी साहब को स्वंय स्नान कराया जो उनके कारिंदे नित्य करते थे सुयश ने स्नान करने के बाद उनके पसंद की अचकन पहनाई और तैयार होकर मन्नू मिया के साथ बघ्घी पर बैठ कर मन्नू मियां को चलने का इशारा किया सुयश के क्रियाकलाप से आश्चर्य चकित होकर सुयश से कहा आखिर तुम चल कहां रहे हो कहा हम लोग सुबह सुबह चल रहे है कुछ बताओगे सुयश बोला बाबूजी आप सिर्फ कुछ देर कोई प्रश्न ना करे सब कुछ बहुत स्प्ष्ट हो जाएगा,,,,,


 मंगलम चौधरी ने और कोई प्रश्न करना उचित नही समझा और चुप हो गए बघ्घी चलती रही ना मन्नू मियां कुछ बोल रहे थे ना चौधरी साहब ना सुयश और ना ही मन्नू मिया बघ्घी सीधे मंगलम चौधरी के कुल मंदिर के सामने आकर खड़ा हो गया सुयश उतर कर अपने आये हाथ से चौधरी साहब का हाथ बहुत विनम्रता पूर्वक पकड़ कर बघ्घी से उतारा और बोला बाबू जी चलिए आप अपने कुल देवता का पूजन अर्जन करिए मंगलम चौधरी कड़क आवाज में कुछ नाराज होते हुए बोले मैं बहुत दिनों से अपने कुल मंदिर नही आया पूजन अर्चन कि बात तो बहुत दूर की बात यहाँ क्यो लेकर आये हो सुयश बोला बाबूजी ईश्वर से नाराज होने का क्या कारण हो सकता है ईश्वर के लिए तो ब्रह्मांड के सभी प्राणियों के लिए एक समान है वह किसी के साथ अन्याय तो कर ही नही सकता सबके साथ न्याय ही करता है इसी कारण तो सारे जगत के प्राणि उसके पास ही अपनी दुःख पीड़ा लेकर जाते है इसीलिए तो उसे परमात्मा भगवान कहते है,,,,,,,,,,


आत्मा का नियंता परमात्मा भाग्य का निर्धारक भगवान तो आपके साथ वह अन्याय कैसे कर सकता है आपको इतना कुछ दिया है उसने हज़ारों लोंगो के घरों में चूल्हा जलता है आपकी कृपा से आप स्वंय देखे मन्नू मिया प्रत्यक्ष है दुनियां में बहुत से सुयश अपने भाग्य और भगवान को कोसते होंगे हर किसी को आप जैसे व्यक्ति का सहारा नही मिलता है मैं खड़ा हूँ सामने आपके अब आप चलिए अपने कुल मंदिर में और पूजन अर्चन कीजिए मंगलम चौधरी सुयश के समक्ष निःशब्द होकर मंदिर में प्रवेश किया कुल पुरोहित पण्डित दीना नाथ पहले से ही पूरी तैयारी के साथ मंगलम चौधरी कि प्रतीक्षा कर रहे थे,,,,,,,,,,


चौधरी साहब के पहुंचते ही उन्होंने विधि विधान से पूजन सम्पन्न कराया पूजन के उपरांत पण्डित दीना को दक्षिणा देकर अनुमति लेकर मंगलम चौधरी और सुयश पुनः हवेली लौट आये हवेली लौटने के बाद सुयश ने हवेली में सबको एकत्र किया और स्वंय अपने कमरे में सुखिया काका को लेकर गया और बोला काका किनारे पड़े कपड़े से ढके चौकोर बोर्ड को ढके ही चौधरी साहब के कमरे तक ले चलो सुखिया काका ने ढके बोर्ड को उठाकर आगे आगे सुयश पीछे पीछे चल पड़ा सुखिया ने ढके चौकोर बोर्ड को चौधरी साहब के सामने रख दिया सुयश बोला बाबूजी आप इस ढके बोर्ड से पर्दा हटाइए मंगलम चौधरी ने कहा सुयश अब यह क्या बला है सुयश ने निवेदन चौधरी साहब के चरणों मे झुकते हुए किया,,,,,,,,,



जारी है







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4 Comments

kashish

09-Sep-2023 07:59 AM

Amazing part

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madhura

16-Aug-2023 09:28 PM

Nice

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Babita patel

16-Aug-2023 04:48 PM

Nice

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